Namaz E Janaze Ki Dua Aur Tarika | जनाज़े की दुआ और नमाज़ ए जनाज़ा का तरीका

जनाज़े की नमाज़ इस्लाम में एक अत्यंत महत्वपूर्ण इबादत मानी जाती है। इसे “फर्ज़ ए किफ़ाया” कहा गया है, जिसका अर्थ है कि यदि कुछ मुसलमान इसे अदा कर लें तो पूरे समुदाय का यह फर्ज़ अदा हो जाता है। इस लेख में हम जनाज़े की नमाज़ के सही तरीके और Janaze Ki Dua का विवरण देंगे, ताकि आप सही इस्लामी तरीके से इसे अदा कर सकें।

Table of Contents

Assalamu Alaikum Doston | अस्सलामु अलैकुम दोस्तों

जनाज़े की नमाज़ अदा करने के दौरान हमें अल्लाह से मरहूम की मगफिरत के लिए दुआ करनी चाहिए। इसकी अहमियत हदीसों में भी मिलती है कि एक मुसलमान का दूसरे मुसलमान के लिए दुआ करना और जनाज़े में शरीक होना एक नेक अमल है। जैसे हज़रत अबू हुरैरा (रज़ि.) से रिवायत है कि रसूलल्लाह (स.अ.व.) ने फरमाया, “जो व्यक्ति किसी मुसलमान के जनाज़े में शामिल होता है और दफनाने तक उसके साथ रहता है, उसे दो क़ीरात सवाब मिलेगा, जो कि उहुद पहाड़ जितना है” (सहीह बुखारी)।

Janaze ki Dua Hadith ke Mutabiq | जनाजे की दुआ हदीस के मुताबिक

जनाज़े की दुआ को हदीसों के मुताबिक अदा करना चाहिए। जनाज़े की नमाज़ में चार तकबीरें होती हैं और हर तकबीर के बाद एक विशेष दुआ पढ़ी जाती है।

Janaze Ki Dua In Arabic, Hindi

Janaze Ki Dua In Arabic | अरबी

اللَّهُمَّ اغْفِرْ لِحَيِّنَا وَمَيِّتِنَا وَصَغِيرِنَا وَكَبِيرِنَا وَذَكَرِنَا وَأُنْثَانَا وَشَاهِدِنَا وَغَائِبِنَا اللَّهُمَّ مَنْ أَحْيَيْتَهُ مِنَّا فَأَحْيِهِ عَلَى الإِيمَانِ وَمَنْ تَوَفَّيْتَهُ مِنَّا فَتَوَفَّهُ عَلَى الإِسْلاَمِ اللَّهُمَّ لاَ تَحْرِمْنَا أَجْرَهُ وَلاَ تُضِلَّنَا بَعْدَهُ

Hadith ReferenceSunan Abi Dawud 3201

Janaze Ki Dua In English | इंग्लिश

Allahumma aghfir lihayyina wa mayyitina wa sagheerina wa kabeerina wa dhakarina wa unthana wa shahidina wa gha’ibina. Allahumma man ahyaytahu minna fa-ahyihi ‘alal-eemaan wa man tawaffaytahu minna fatawaffahu ‘alal-islam. Allahumma laa tahrimna ajrahu wa laa tudillana ba’dahu.

“O Allah, forgive those of us who are alive and those who are dead, those who are present and those who are absent, our young and our elderly, our males and our females. O Allah, whoever you keep alive from us, keep him alive on Islam, and whoever you cause to die from us, let him die on Iman.”

Janaze Ki Dua In Hindi | हिंदी

अल्लाहुम्मा ग़फ़िर लिहय्यिना वा मय्यितिना वा सगीरिना वा कबीरिना वा ज़करिना वा उन्थाना वा शाहिदिना वा ग़ाएबिना। अल्लाहुम्मा मन अह्यैतहु मिन्ना फ-अह्यिहि अलल-ईमान वा मन तवफ्फैतहु मिन्ना फ-तवफ्फहु अलल-इस्लाम। अल्लाहुम्मा ला तहरिमना अज्रहु वा ला तुदिल्लना बअदहु।

“ऐ अल्लाह, हमारे सभी जिन्दा और फौत शुदा, हमारे हाजिर और ग़ायब, हमारे छोटे और बड़े, मर्द और औरत, सब की मगफिरत फरमा। ऐ अल्लाह, जिसे तू ज़िन्दा रखे उसे इस्लाम पर ज़िन्दा रख और जिसे मौत दे उसे ईमान पर मौत दे।”

Janaze Ki Dua Ka Tarjuma | तर्जुमा

इस दुआ में हम अल्लाह से प्रार्थना करते हैं कि वह मरहूम को माफ कर दे और उसे इस्लाम और ईमान पर ही ज़िन्दगी और मौत दे। यह दुआ हमें जनाज़े की नमाज़ में पढ़नी चाहिए ताकि मरहूम की आखिरी बिदाई में उसकी मगफिरत के लिए दुआ हो सके।

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Ye Dua Kis Hadith me Mojud hai? | ये दुआ किस हदीस में मौजूद है?

यह दुआ “सुनन अबू दाऊद” की हदीस में मौजूद है और हजरत अबू हुरैरा (रज़ि.) से इसका वर्णन मिलता है। जनाज़े में इस दुआ का पाठ रसूलल्लाह (स.अ.व.) स्वयं भी किया करते थे। इसकी प्रामाणिकता को देखते हुए इसे इस्लामी अंतिम संस्कार में पढ़ने की सिफारिश की जाती है।

Namaz e Janaza ka Tarika (Hanfi) | नमाज़ ए जनाज़ा का तरीका (ह़नफ़ी)

ह़नफ़ी मत के अनुसार, जनाज़े की नमाज़ में चार तकबीरें होती हैं। इसकी प्रक्रिया निम्नलिखित है:

नियत: सबसे पहले नियत करें कि आप जनाज़े की नमाज़ अदा कर रहे हैं।

पहली तकबीर: इमाम “अल्लाहु अकबर” कहेगा, तब सभी नमाज़ियों को भी “अल्लाहु अकबर” कहना है और हाथ नाफ़ के नीचे बांध लेना है। इस तकबीर के बाद “सना” पढ़ें:
سُبْحَانَكَ اللَّهُمَّ وَبِحَمْدِكَ وَتَبَاْرَكَ اسْمُكَ وَتَعَالَئ جَدُّكَ وَجَلَّ ثَناءُكَ وَلَااِلَه غَيْرُكَ

दूसरी तकबीर: फिर “अल्लाहु अकबर” कहकर दुरूद-ए-इब्राहीम पढ़ें:
اللَّهُمَّ صَلِّ عَلَى مُحَمَّدٍ وَعَلَى آلِ مُحَمَّدٍ كَمَا صَلَّيْتَ عَلَى إِبْرَاهِيمَ وَعَلَى آلِ إِبْرَاهِيمَ إِنَّكَ حَمِيدٌ مَجِيدٌ

तीसरी तकबीर: फिर से “अल्लाहु अकबर” कहें और जनाज़े की दुआ पढ़ें।

चौथी तकबीर: चौथी तकबीर के बाद सलाम फेर दें, जनाज़े की नमाज़ समाप्त होती है।

Namaz e Janaza me Kitni Takbirein aur Rukn? | नमाज़ ए जनाज़ा में कितनी तकबीरें और रुक्न?

जनाज़े की नमाज़ में चार तकबीरें होती हैं, और इसके दो मुख्य रुक्न होते हैं – अल्लाहु अकबर कहना और कीयाम। इसके साथ ही इसमें दुरूद और मरहूम के लिए दुआ शामिल है।

Namaz e Janaza ki Dua | नमाज़ ए जनाज़ा की दुआ

बालिग़ मर्द और औरत, नाबालिग लड़का, और नाबालिग लड़की के लिए जनाज़े की दुआएं अलग-अलग होती हैं।

Janaze ki Dua (Baligh Mard aur Aurat ke Liye) | जनाजे की दुआ (बालिग़ मर्द और औरत के लिए)

अल्लाहुम्म मगफिरलि हैयिना व मैयितिना व शहिदिना व गाइबिना व सगीरिना व कबीरिना व जकरिना व उनसाना। अल्लाहुम्म मन अहयैतहू मिन्ना फअहयिहि अलल इस्लाम व मन तवफ्फैतहू मिन्ना फतवफ्फहु अलल ईमान।

Janaze ki Dua (Nabaligh Ladke ke Liye) | जनाजे की दुआ (ना बालिग़ लड़के के लिए)

अल्लाहुम्म अजअल्हु लना फरतौं व अजअल्हु लना अज्रौं व जुख्रौं व अजअल्हु लना शाफिअं व मुशफ्फआ।

Janaze ki Dua (Nabaligh Ladki ke Liye) | जनाजे की दुआ (ना बालिग़ लड़की के लिए)

अल्लाहुम्म अजअल्हा लना फरतौं व अजअल्हा लना अज्रौं व जुख्रौं व अजअल्हा लना शाफिअतौं व मुशफ्फअत।

Namaz e Janaza ki Fazilat | नमाज़ ए जनाज़ा की फज़ीलत

Namaz e janaza ki fazilat | नमाज़ ए जनाज़ा की फज़ीलत

हदीसों में जनाज़े की नमाज़ के फज़ीलत पर जोर दिया गया है। इसका मकसद मरहूम के लिए अल्लाह से दुआ करना और उसे माफी की दरखास्त करना है। हज़रत अबू हुरैरा (रज़ि.) ने फरमाया कि रसूलल्लाह (स.अ.व.) ने जनाज़े में शरीक होने को उहद पहाड़ के बराबर सवाब का हकदार बताया है।

Qabar me Pehla Tohfa | क़ब्र में पहला तोहफा

क़ब्र में मरहूम को मिलने वाला पहला तोहफा जनाज़े में शरीक होने वाले लोगों की मगफिरत की दुआ होती है।

Uhad Pahad Jitna Sawab | उहद पहाड़ जितना सवाब

जो व्यक्ति जनाज़े के साथ चलता है और दफन तक रहता है, उसे उहद पहाड़ जितना सवाब मिलता है।

अल्लाह के रसूल (ﷺ) (p.b.u.h) ने कहा, "जो कोई शव यात्रा में शामिल होता है जब तक कि वह उसके लिए जनाजा की प्रार्थना नहीं करता, उसे एक किरात का इनाम मिलेगा, और जो इसे दफनाने तक accompanies करेगा, उसे दो किरात का इनाम मिलेगा।" पूछा गया, "दो किरात क्या हैं?" उन्होंने उत्तर दिया, "जैसे दो विशाल पर्वत।"

Hadith Reference: Sahih al-Bukhari 1325

Janaze ka Masail aur Tareeqe | जनाज़े का मसाइल और तरीके

जनाज़े की नमाज़ से जुड़ी कई विशेषताएं और मसाइल होते हैं जिनका पालन करना आवश्यक है। जैसे कि तकबीर के वक्त सिर नहीं उठाना चाहिए, नापाक जगह पर नमाज़ नहीं पढ़नी चाहिए, और जनाज़े में शामिल होने के लिए तीन सफें होनी चाहिए।

Kya Aurat ke Liye Janaze ki Alag Dua Hai? | क्या औरत के लिए जनाज़े की अलग दुआ है?

जनाज़े की दुआ औरत और मर्द दोनों के लिए समान होती है। दोनों के लिए एक ही दुआ का पाठ किया जाता है।

Kya Chote Bachon ke Liye Alag Dua Hai? | क्या छोटे बच्चों के लिए अलग दुआ है?

छोटे बच्चे के लिए अलग दुआ होती है क्योंकि उस पर गुनाह नहीं होता। बच्चे के लिए दुआ में उसकी आगे बढ़ने की प्रार्थना और जन्नत में दाखिल होने की दुआ की जाती है।

Janaze ko Kandha Dene ka Tarika | जनाज़े को कंधा देने का तरीका

हदीस के अनुसार, जनाज़े को कंधा देने का तरीका यह है कि चार लोग मिलकर जनाज़े के चारों किनारों को पकड़ें और दस-दस कदम चलें। इससे उन लोगों को सवाब मिलता है और अल्लाह उनके गुनाहों को माफ करता है।

Namaz e Janaza ke Baad ke Masail | नमाज़ ए जनाज़ा के बाद के मसाइल

जनाज़े की नमाज़ के बाद हाज़रीन को अनुमति देकर लौटना चाहिए। यह भी एक इस्लामी रिवाज है कि दफन के बाद अल्लाह से मरहूम की मगफिरत की दुआ की जाए।

Shohar Bivi ke Janaze ko Kandha de sakta hai? | क्या शोहर बीवी के जनाज़े को कंधा दे सकता है?

हाँ, एक शोहर अपनी बीवी के जनाज़े को कंधा दे सकता है और उसे क़ब्र में उतार सकता है। हालांकि, उसे गुस्ल नहीं दे सकता।

FAQs | सामान्य प्रश्न

Janaze me Kya Padna Chahiye? | जनाज़े में क्या पढ़ना चाहिए?

जनाज़े में सना, दुरूद-ए-इब्राहीम और जनाज़े की दुआ पढ़नी चाहिए।

Janaze me Kaun si Dua Padhi Jati Hai? | जनाज़े में कौन सी दुआ पढ़ी जाती है?

जनाज़े में ऊपर दी गई दुआ पढ़ी जाती है, जो मरहूम के लिए मगफिरत की दरखास्त होती है।

Akhiri Baat | आख़िरी बात

जनाज़े की नमाज़ अदा करना एक ऐसा नेक अमल है जो मरहूम के लिए मददगार और इहसान साबित होता है। इस ब्लॉग के माध्यम से हमने जनाज़े की नमाज़ का सही तरीका और उससे जुड़ी दुआओं को समझने का प्रयास किया है।

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