Sehri Ki Dua | Roza Rakhne Ki Dua | सेहरी की दुआ

Sehri ki Dua | Roza Rakhne Ki Dua | Niyat Sehri Ki Dua

रमज़ान का महीना इस्लाम धर्म में विशेष महत्व रखता है। इस दौरान रोज़ेदार पूरे दिन भूखे-प्यासे रहकर खुदा की इबादत करते हैं। रोज़ा रखने की शुरुआत सेहरी से होती है, जिसे इस्लाम में बहुत फज़ीलत दी गई है। सेहरी करना सुन्नत है, और इसके बाद रोज़ा रखने की नियत की जाती है। इस लेख में हम सेहरी की दुआ, रोज़ा रखने की दुआ और रमज़ान की अहमियत को विस्तार से समझेंगे।

रमज़ान की अहमियत

रमज़ान इस्लामी कैलेंडर का सबसे पवित्र महीना माना जाता है। इस महीने में अल्लाह ने इंसानों को कुरआन का तोहफा दिया था। यह महीना केवल भूखा-प्यासा रहने का नहीं, बल्कि आत्मसंयम, दान-पुण्य और इबादत का भी होता है।

रमज़ान के दौरान किए गए अच्छे कर्मों का सवाब (पुण्य) कई गुना बढ़ जाता है। इस महीने में रोज़ा रखना हर मुसलमान पर फर्ज़ किया गया है, जिससे वह अपनी आत्मा को शुद्ध कर सके और अल्लाह के करीब आ सके।

सेहरी की कुछ खास बातें | Sehri Ki Kuch Khaas Baat

इस्लाम में सेहरी करने को सुन्नत बताया गया है, यानी यह पैगंबर मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) की प्रिय आदतों में से एक है। सेहरी करने से इंसान को पूरे दिन ऊर्जा मिलती है और यह दुआओं का समय भी होता है।

हदीस में आता है:
“सेहरी करो, क्योंकि सेहरी में बरकत है।” (बुखारी, मुस्लिम)

इसलिए मुसलमानों को सेहरी करना चाहिए और इसके बाद नियत कर रोज़ा रखना चाहिए।

Sehri Ki Dua in Hindi

सेहरी के वक्त यह दुआ पढ़नी चाहिए:

وَبِصَوْمِ غَدٍ نَّوَيْتُ مِنْ شَهْرِ رَمَضَانَ

उच्चारण: व बि सव्मि ग़दिन नवैतु मिन शह्रि रमज़ान।

हिंदी अनुवाद: मैंने रमज़ान के रोज़े की नियत की।

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Ramazan ke Roze ki Niyat

रोज़ा रखने से पहले नियत करना जरूरी होता है, क्योंकि बिना नियत के कोई भी इबादत पूरी नहीं होती। नियत दिल में भी की जा सकती है, लेकिन इसे ज़बान से कहना बेहतर माना जाता है।

Sehri Ki Dua in English

The dua for Sehri is:

Wa bisawmi ghadin nawaitu min shahri Ramadhan.

Translation: I intend to keep the fast for tomorrow in the month of Ramadan.

Making the intention for fasting is an essential part of observing Ramadan, and it should be done with sincerity.

Roza Rakhne ki Dua In Hindi | हिंदी में रोज़ा रखने की दुआ

Sehri roza rakhne ki dua

जब कोई व्यक्ति रोज़ा रखे, तो उसे नियत के साथ यह दुआ पढ़नी चाहिए:

نَوَيْتُ أَنْ أَصُوْمَ غَدًا لِلَّهِ تَعَالَى مِنْ شَهْرِ رَمَضَانَ

उच्चारण: नवैतु अन असूमा ग़दं लिल्लाहे तआला मिन शह्रि रमज़ान।

हिंदी अनुवाद: मैंने अल्लाह की रज़ा के लिए रमज़ान के रोज़े की नियत की।

इंग्लिश में रोजा रखने की दुआ (Roza Rakhne ki Dua in English)

Nawaitu an asooma ghadan lillahi ta’ala min shahri Ramadan.

Translation: I intend to keep the fast tomorrow for the sake of Allah in the month of Ramadan.

यह दुआ रोज़ा रखने से पहले पढ़ी जाती है, ताकि व्यक्ति का रोज़ा सही तरीके से शुरू हो।

Sehri Se Judi Huyi Hadith | Hadith Related To Sehri

हदीस (हदीस का अनुवाद हिंदी में):

Sehri se judi hadith

अब्दुल्लाह इब्न उमर (रज़ियल्लाहु अन्हु) से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने फरमाया:
“निश्चय ही, अल्लाह और उसके फ़रिश्ते उन लोगों पर रहमत भेजते हैं जो रोज़ा रखने से पहले सेहरी करते हैं।”

स्रोत: सहीह इब्न हिब्बान 3467

व्याख्या (शरह) हिंदी में:

इस हदीस से सेहरी करने की फज़ीलत और महत्व स्पष्ट होता है। इस्लाम में सेहरी करना सुन्नत है और यह केवल शारीरिक ऊर्जा प्राप्त करने के लिए नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक अमल भी है।

रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने सेहरी करने को बहुत महत्वपूर्ण बताया है, क्योंकि यह अल्लाह की विशेष रहमत और बरकत का कारण बनता है। जो व्यक्ति सेहरी करता है, उस पर अल्लाह की विशेष कृपा होती है और फ़रिश्ते उसके लिए दुआ करते हैं।

सेहरी केवल एक साधारण भोजन नहीं, बल्कि रोज़े की तैयारी का एक अहम हिस्सा है। यह रोज़ेदार को पूरे दिन उपवास के लिए शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार करता है। इसके अलावा, यह अल्लाह के आदेश की पालन है और पैगंबर मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) की सुन्नत भी है।

इसलिए, हमें सेहरी की अहमियत को समझते हुए इसे अपनाना चाहिए और अल्लाह की बरकत व रहमत हासिल करनी चाहिए।

रमज़ान की तैयारियाँ

रमज़ान के महीने की शुरुआत से पहले मुसलमानों को इसकी तैयारी कर लेनी चाहिए। इसमें शॉपिंग से ज्यादा इबादत की तैयारी करनी चाहिए। कुछ अहम तैयारियाँ इस प्रकार हैं:

  • रोज़े रखने के लिए मानसिक और शारीरिक रूप से तैयार होना
  • ज्यादा से ज्यादा इबादत करने की योजना बनाना
  • गरीबों और ज़रूरतमंदों की मदद करने का इरादा करना
  • घर के सदस्यों को रोज़े के महत्व के बारे में जागरूक करना

रमज़ान में सदका और खैरात

रमज़ान का महीना केवल रोज़ा रखने और नमाज़ पढ़ने तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें गरीबों की मदद करना भी बहुत ज़रूरी होता है।

  • ज़कात और सदका देने से रोज़े का सवाब बढ़ जाता है।
  • गरीबों को खाना खिलाना एक बड़ी नेकी है।
  • ईद से पहले फित्रा देना अनिवार्य है, ताकि गरीब भी ईद मना सकें।

आखरी अल्फाज़

रमज़ान का महीना एक सुनहरा मौका है, जिसमें हर मुसलमान को खुद को सुधारने की कोशिश करनी चाहिए। रोज़ा केवल भूखा-प्यासा रहने का नाम नहीं है, बल्कि अपनी आदतों को सुधारने, बुरी चीजों से बचने और अल्लाह की इबादत में समय बिताने का महीना है।

अल्लाह हम सभी को रमज़ान की बरकतों से नवाज़े और हमें सही तरीके से इबादत करने की तौफीक़ दे। आमीन!

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